Wednesday, February 14, 2018

रात!

जैसे रात
दोगुनी कर देती है
दर्द, पीड़ा, तकलीफें
तन्हाईयाँ, अकेलापन
रुकावटें, मुश्किलें, मुसीबतें

ठीक उसी तरह
हर रात दुगना हो जाता है
तुम्हारे लिए मेरा प्यार
मेरे दिल में तुम्हारी हसरत
और मेरे जीवन में तुम्हारी जरूरत

~ हिमांशु

No comments:

Post a Comment