I.
दुनिया बंट जानी चाहिए।
ब्लैक एन्ड व्हाइट में,
हाँ या ना में,
एकदम चाहिए और
बिल्कुल नहीं चाहिए में।
नैतिक-अनैतिक,
सही-गलत,
अच्छा-बुरा जैसे
मानदण्ड बीते दिनों की बातें है।
ये सब ख़त्म कर देने चाहिए।
शायद,
चलेगा,
पता नहीं यार,
ठीक है देखा जाएगा
जैसे भ्रम भी टूटने चाहिए।
"बीच का रास्ता कहीं नहीं होता"।
जो हैं उन्हें बंद कर देने चाहिए,
जो चाहते हैं, उनसे ज़वाब मांगा जाना चाहिए।
मध्य मार्ग के चक्कर में फंसा असहाय व्यक्ति
बचा लिया जाना चाहिए।
मन बनाना पड़ता है,
मन बना लिया जाना चाहिए।
रंगों का फ़रेब छोड़,
सब कुछ, तुम्हें भी
ब्लैक एंड व्हाइट में देखा जाना चाहिए।
II.
तुम्हारा हँसना ऐसा था जैसे
किसी ने रंगों से भरी
बाल्टी उड़ेल दी हो मुझ पर
और मैं तुम्हारी हँसी के रंगों में
सर से पांव तक रंग दिया गया होऊँ।
तुम्हारी हँसी के बदले तुम्हें
अपने प्यार से रंग देने की
मेरी सारी कोशिशें नाकाम गयी,
शायद इसलिए क्योंकि
तुम्हारे रह-रह के लाल होते
सफ़ेद चेहरे में जो सूरज वाली बात थी,
उसमें जो जिंदगियों में
जीवन भर देने की शक्ति थी,
उनमें जो रंगों को
रंगीन बनाने वाली रौशनी थी,
उनको मेरे रंग में रंग कर
धीमा नहीं होना था,
फ़ीका नहीं पड़ना था।
मेरी दोस्त, मेरा प्यार,
कल को ये दुनिया चाहे
जिस भी हिसाब से बंट जाए,
जिस भी तरीके से देखी जाए,
तुम, तुम्हारी हाँ या ना से परे,
तुम्हें क्या चाहिए और क्या नहीं
जैसे तमाम सवालों से अलग,
ब्लैक एंड व्हाइट में भी
उतनी ही खूबसूरत रहोगी
और हमेशा आसमान में रहोगी,
सूरज बन कर,
हर तरफ़ हँसी और रंग बिखेरती हुई।
तुम हमेशा आसमान में रहोगी,
सूरज बन कर
मुझसे दूर।
~ हिमांशु
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