तुम भी काश मेरी मुसीबतों सी होती..
बिन बुलाए रोज़ मेरे पास चली तो आती..
या कमसकम तुम्हारा प्यार ही मुसीबत होता..
हर रोज़ खुदबखुद मेरे लिए बढ़ तो जाता..
या हमारी मुलाकात मुसीबतों की तरह होती..
हर शाम मिलते ही तुम मुझपे टूट तो पड़ती..
या फिर हमारी ये दूरियाँ ही मुसीबत हो जाती..
एक दिन तुम इनसे छुटकारा तो पा लेती..
या हमारी कहीं खोयी नोंक-झोंक ही मुसीबतें बन जाती..
इसी बहाने कभी कम होने का नाम तो न लेती..
और कुछ नहीं तो..
तुम्हारा चेहरा ही मुसीबत होता..
पहाड़ बन के मेरे सामने तो रहता..
- #हिमांशु
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